राजस्थान में कृषि(AGRICULTURE IN RAJASTHAN) – GURUGGKWALA

राजस्थान में कृषि

राजस्थान का कुल क्षेत्रफल 3 लाख 42 हजार 239 वर्ग कि.मी. है। जो की देश का 10.41 प्रतिशत है। राजस्थान में देश का 11 प्रतिशत क्षेत्र कृषि योग्य भूमि है और राज्य में 50 प्रतिशत सकल सिंचित क्षेत्र है जबकि 30 प्रतिशत शुद्ध सिंचित क्षेत्र है।

राजस्थान का 60 प्रतिशत क्षेत्र मरूस्थल और 10 प्रतिशत क्षेत्र पर्वतीय है। अतः कृषि कार्य संपन्न नहीं हो पाता है और मरूस्थलीय भूमि सिंचाई के साधनों का अभाव पाया जाता है। अधिकांश खेती राज्य में वर्षा पर निर्भर होने के कारण राज्य में कृषि को मानसून का जुआ कहा जाता है।

तथ्य(FACT)

मानपुरा, झालावाड़ से हुकुमचंद पाटीदार और अजीतगढ़, सीकर के जगदीश प्रसाद पारिख को जैविक खेती का उपयोग करने और बढ़ावा देने के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया गया है। इन दोनों किसानों ने कभी रासायनिक उर्वरक की एक बूंद का उपयोग नहीं किया और अब राज्य के अन्य किसानों के लिए उदाहरण बन गए हैं।

रबी की फसलअक्टूबर, नवम्बर व जनवरी -फरवरी
खरीफ की फसलजून, जुलाई व सितम्बर-अक्टूबर
जायद की फसलमार्च-अपे्रल व जून-जुलाई

रबी को उनालु कहा जाता है।

खरीफ को स्यालु/सावणु कहा जाता है।

रबी – गेहूं जौ, चना, सरसो, मसूर, मटर, अलसी, तारामीरा, सूरजमुखी।

खरीफ – बाजरा, ज्वार, मूंगफली, कपास, मक्का, गन्ना, सोयाबीन, चावल आदि।

जायद – खरबूजे, तरबूज, ककडी

फसलों का प्रारूप

खाद्यान्न फसले (57 प्रतिशत)नकदी/व्यापारिक फसले (43 प्रतिशत)
गेहूं,जो,ज्वार, मक्कागन्ना, कपास, तम्बाकू
बाजरा,चावंल,दहलनेतिलहन, सरसों, राई
मोठ,मूंग ,अरहर ,उड्दतारामिरा, अरण्डी, मूंग
मसूर, चांवल इत्यादितिल, सोयाबीन, (जोजोबा)

नोट- राज्य में कृषि जोत का औसत आकार 3.96 हैक्टेयर है। जो देश में सर्वाधिक है। कुल क्षेत्र का 2/3 भाग (65 प्रतिशत) खरीफ के मौसम में बोया जाता है।

खाद्यान्न फसले

1. गेहूं(WHEAT )

राजस्थान में सर्वाधिक खाया जाने वाला और सर्वाधिक उत्पन्न होने वाला खाद्यान्न गेंहू है। देश में गेहूं का सर्वाधिक उत्पादन उत्तर-प्रदेश में होता है। राजस्थान का गेहूं उत्पादन में देश में चौथा स्थान है। राजस्थान का पूर्वी भाग गेहूं उत्पादन में अग्रणी स्थान रखता है। जबकि श्रीगंगानगर जिला राज्य में गेंहू उत्पादन में प्रथम स्थान पर है। गेंहू के अधिक उत्पादन के कारण श्रीगंगानगर को राज्य का अन्न भंण्डार और कमाऊपूत कहा जाता है। राजस्थान में गेहूं की प्रमुख किस्में सोना-कल्याण, सोनेरा, शरबती, कोहिनूर, और मैक्सिन बोयी जाती है।

2.जौ

देश में जौ का सर्वाधिक उत्पादन उत्तर प्रदेश में होता है। यू.पी. के पश्चात् राजस्थान जौ उत्पादन में दूसरे स्थान पर है। राजस्थान के पूर्वी क्षेत्र में जौ सर्वाधिक होता है और जयपुर जिला जौ उत्पादन में राज्य का प्रथम स्थान पर है। राजस्थान में जौ कि प्रमुख किस्मों में ज्योति राजकिरण और आर.एस.-6 प्रमुख है। जौ माल्ट बनाने में उपयोगी है।

3.ज्वार (सोरगम/गरीब की रोटी)

ज्वार को खाद्यान्न के रूप में प्रयोग किया जाता है। देश में सर्वाधिक ज्वार महाराष्ट्र में होता है। जबकि राजस्थान में देश में चौथा स्थान रखता है। राजस्थान में मध्य भाग में ज्वार का सर्वाधिक उत्पादन होता है। जबकि अजमेर जिला ज्वार उत्पादन में प्रथम स्थान पर है। ज्वार की राज्य में प्रमुख किस्म पी.वी.-96 है।

राजस्थान में ज्वार अनुसंधान केन्द्र वल्लभनगर उदयपुर में स्थापित किया गया है।

4.मक्का

दक्षिणी राजस्थान का प्रमुख खाद्यान्न मक्का है। देश में सर्वाधिक मक्का का उत्पादन उत्तर प्रदेश में होता है। जबकि राजस्थान का मक्का के उत्पादन मे देश में आठवां स्थान है। राजस्थान का चित्तौडगढ़ जिला मक्का उत्पादन में प्रथम स्थान पर है। राजस्थान में मक्के की डब्ल्यू -126 किस्म बोई जाती है जबकि कृषि अनुसंधान केन्द्र बांसवाडा द्वारा मक्का की माही कंचन व माही धवल किस्म तैयार की गई है।

5.चावल

देश में सर्वाधिक खाया जाने वाला खाद्यान्न चावल है। देश में इसका सर्वाधिक उत्पादन पश्चिमी बंगाल में है। राजस्थान में चावंल का उत्पादन नाममात्र का आधा प्रतिशत से भी कम है। राजस्थान में हुनमानगढ़ जिले के घग्घर नदी बहाव क्षेत्र (नाली बैल्ट) में “गरडा बासमती” नामक चावल उत्पन्न किया जाता है। जबकि कृषि अनुसन्धान केंद्र बांसवाडा ने चावल की नई किस्म माही सुगंधा और माही धवल विकसित की है

चावल के लिए 20 से 25 डिग्री सेल्सीयस तापमान व 200 सेंटीमीटर मीटर वार्षिक वर्षा की आवश्यकता होती है। जो कि राजस्थान में उपलब्ध नहीं है। अतः यहां जापानी पद्वति से चावल उत्पन्न किया जाता है। देश में प्रति हैक्टेयर अधिक उत्पादन में पंजाब राज्य का प्रथम स्थान रखता है।

6. चना

यह एक उष्णकटिबधिय पौधा है। इसके लिए मिट्टी की आवश्यकता होती है। देश में उत्तर-प्रदेश के पश्चात् राजस्थान चना उत्पादन में दूसरे स्थान पर है। राजस्थान में चुरू जिला चने के उत्पादन में प्रथम स्थान रखता है। गेहूं और जो के साथ चने को बोने पर उसे गोचनी या बेझड़ कहा जाता है।

7.दलहन

चने के पश्चात् विभिन्न प्रकार की दालो में मोठ का प्रथम स्थान राजस्थान का पश्चिमी भाग दालों में अग्रणी स्थान रखता है। राजस्थान का नागौर जिला उत्पादन में प्रथम स्थान पर है। राजस्थान में कुल कृषि भूमि का 18 प्रतिशत दाले बोयी जाती है। उड्द की दाल भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने में सहायक है। पौधों को नाइट्रोजन नाइट्रेट के रूप में प्राप्त होती है। जबकि राइजोबियम नामक बैक्टीरिया नाइट्रोजन को नाइट्रेट के रूप में परिवर्तित करता है।

8.बाजरा

देश में सर्वाधिक बाजरे का उत्पादन राजस्थान में होता है। राजस्थान में सर्वाधिक बोया जाने वाला खाद्यान्न बाजरा है। राजस्थान का पश्चिमी भाग बाजरा उत्पादन हेतु प्रसिद्ध है जबकि जयपुर जिला बाजरा उत्पादन में प्रथम स्थान पर हैं राजस्थान में बाजरे की साधारण किस्म के अतिरिक्त Raj-171 प्रमुख किस्म है। राजस्थान के पूर्वी भाग में संकर बाजरा होता है। उसे सिंचाई की अधिक आवश्यकता होती है। राजस्थान में बाजरा अनुसंधान केन्द्र बाडमेर में स्थित है।

नगदी/व्यापारिक फसले

9.गन्ना

भारतीय मूल का पौधा(Indian Origine) है। अर्थात् विश्व में सर्वप्रथम गन्ने का उत्पादन भारत में ही हुआ। दक्षिणी भारत में सर्वप्रथम गन्ने की खेती आरम्भ हुई। वर्तमान में विश्व में गन्ने का सर्वाधिक उत्पादन भारत में ही होता है। भारत में उत्तर प्रदेश राज्य गन्ना उत्पादन में प्रथम स्थान पर है (देश का 40 प्रतिशत)। राजस्थान में गन्ने का उत्पादन नाम मात्र का होता है (0.5 प्रतिशत)। राजस्थान में बूंदी जिला गन्ना उत्पादन में अग्रणी स्थान रखता है। गन्ने का कम उत्पादन होने के कारण राजस्थान में मात्र तीन सुगर मिले है|

1.दा मेवाड शुगर मिलभूपाल सागर (चित्तौड़) 1932 निजी
2.गंगानगर शुगर मिलगंगानगर (1937 निजी -1956 में सार्वजनिक)
3.द केशोरायपाटन शुगर मिलकेशोरायपाटन (बूंदी) 1965 सहकारी

10.कपास(बनिया )

कपास देशी कपासअमेरिकन कपास मानवी कपास गंगानगर गंगानगर कोटा (हाडौती क्षेत्र) उदयपुर हनुमानगढ़ बूंदी चित्तौडगढ़ बांसवाडा बांरा

कपास भारतीय मूल का पौधा है। विश्व में सर्वप्रथम कपास का उत्पादन सिंधु घाटी सभ्यता में हुआ। वर्तमान में विश्व में सर्वाधिक कपास भारत में उत्पन्न होती है। जबकी भारत में गुजरात राज्य कपास में प्रथम स्थान रखता है। राजस्थान देश में चौथे स्थान पर है। राजस्थान में कपास तीन प्रकार की होती है।

वर्तमान में राजस्थान का हनुमानगढ़ जिला कपास उत्पादन में अग्रणी स्थान रखता है। जबकि जैसलमेर व चरू में कपास का उत्पादन नाम मात्र का होता है। कपास को “बणीया” कहा जाता है। कपास से बिनौला निकाला जाता है उससे खल बनाई जाती है। कपास की एक गांठ 170 किलो की होती है।

11.तम्बाकू

भारतीय मूल का पौधा नही। पूर्तगाली 1508 ईं. में इसको भारत लेकर आये थे। मुगल शासक जहांगीर ने सर्वप्रथम भारत में 1608 ई. में इसकी खेती की शुरूआत की किन्तु कुछ समय पश्चात् इसके जब दुशपरीणाम आने लगे तब जहांगीर ने ही इसे बंद करवा दिया। वर्तमान में भारत का आंधप्रदेश राज्य तम्बाकू उत्पादन में प्रथम स्थान पर है। राजस्थान में पूर्व भाग में तम्बाकू का सर्वाधिक उत्पादन होता है। अलवर जिला तम्बाकू उत्पादन में प्रथम स्थान पर है। राजस्थान में तम्बाकू की दो किस्में बोयी जाती है।

(अ) निकोटिना टेबुकम

(ब) निकोटिना रास्टिका

12.तिलहन (तिलहन विकास कार्यक्रम 1984-85)

सरसो, राई, तारामीरा, तिल, मूंगफली, अरण्डी, सोयाबीन, होहोबा राजस्थान में उत्पन्न होने वाली प्रमुख तिलहन फसले है। तिलहन उत्पादन में राजस्थान का तीसरा स्थान है। तिलहन उत्पादन में उत्तर प्रदेश प्रथम है। किन्तु सरसों व राई के उत्पादन में राजस्थान प्रथम स्थान रखता है।

सरसों

राजस्थान का भरतपुर जिला सरसों के उत्पादन में राज्य में प्रथम स्थान पर है। केन्द्रीय सरसों अनुसंधान केन्द्र सेवर भरतपुर की स्थापना 1983 में की गयी।

मूंगफली

विश्व में मूंगफली का सर्वाधिक उत्पादन भारत में होता है। देश में गुजरात मूंगफली का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। उसके बाद राजस्थान, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल आते हैं। मूंगफली की फसल खरीफ और रबी, दोनों मौसमों में होती है। कुल पैदावर में खरीफ मौसम का हिस्सा 75 प्रतिशत से अधिक है। राज्य का जयपुर जिला मूंगफली के उत्पादन में प्रथम स्थान रखता है। बीकानेर का लूणकरणसर क्षेत्र उत्तम मंूगफली के लिए प्रसिद्ध है अतः उसे राजस्थान का राजकोट भी कहा जाता है।

तिल सोयाबीन अरण्डी

राज्य में तिल पाली जिले में अरण्डी जालौर जिले में, सोयाबीन झालावाड़ में उत्पन्न होती है। सोयाबीन राजस्थान राज्य के दक्षिणी-पूर्वी भाग (हडौती) में होती है। इसमें सर्वाधिक प्रोटीन होती है। भारत में सर्वाधिक सोयाबीन मध्यप्रदेश में होता है।

होहोबा (जोजोबा)

यह एक प्रकार का तिलहन है इसे भारत में इजराइल से मगाया गया। इसका जन्म स्थान एरिजोना का मरूस्थल है। भारत में इसकी खेती की शुरूआत सर्वप्रथम सी.ए.जे.आर.आई संस्थान जोधपुर द्वारा की गयी। इसकी खेती इन क्षेत्रों में की जाती है जहां सिचाई के साधनों का अभाव पाया जाता है। इसके तेल का उपयोग सौन्दर्य प्रसाधनों, बडी-2 मशीनरियो व हवाई जहाजों में लुब्रिकेण्टस के रूप में किया जाता है।

राजस्थान में होहोबा के तीन फार्म है –

  1. ढण्ड (जयपुर)
  2. फतेहपुर (सीकर) सहकारी
  3. बीकानेर (निजी)

CAZRI (काजरी)जोधपुर

आस्ट्रेलिया व यूनेस्कों के सहयोग से TITUTE (केन्द्रिय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान केन्द्र) स्थापना 1959 इसका मुख्यालय जोधपुर मे है। काजरी का प्रमुख कार्य मरूस्थलीय प्रसार को रोकना, वृक्षा रोपण को बढावा देना और मरूस्थलीय क्षेत्र की समस्याओं का निवारण करना है। इसके 5 उपकेन्द्र – बीकानेर, जैसलमेर, पाली, भुज, लदाख।

नोट- 1998 में राजस्थान के सभी जिलों में काजरी संस्थान में ही विज्ञान सेवा केन्द्रो की स्थापना की गयी।

उत्पादन क्रान्तियां

1हरित क्रांतिखाद्यान्न
2श्वेत क्रांतिदुग्ध
3पीली क्रांतितिलहन (सरसों)
4नीली क्रांतिमत्स्य
5गुलाबी क्रांतिझींगा
6काली (कृष्ण)पेट्रोलियम (पैट्रोल, डीजल, केरोसीन)
7लाल क्रांतिटमाटर
8सुनहरी क्रांतिदेसी अण्डा
9रजत क्रांतिफार्मी अण्डा
10भूरी क्रांतिखाद्य प्रसंस्करण
11बादामी क्रांतिमसाला उत्पादन
12स्लेटी क्रांतिसीमेण्ट
13गोल क्रांतिआलू
14इन्द्रधनुष क्रांतिसभी कृषि उत्पादन

खस का उत्पादन

सवाई माधोपुर, भरतपुर, टोंक

मसाला उत्पादन

विश्व में मसाला उत्पादन में भारत प्रथम स्थान रखता है। भारत में राजस्थान मसाला उत्पादन में प्रथम है। किन्तु गरम मसालों के लिए केरल राज्य प्रथम स्थान पर है। केरल को भारत का स्पाइस पार्क भी कहा जाता है। राज्य में दक्षिण-पूर्व का बांरा जिला राज्य में मसाला उत्पादन में प्रथम स्थान पर है। राजस्थान का प्रथम मसाला पार्क -झालावाड़ में है।

मसालेसर्वाधिक उत्पादक जिला
मिर्चजोधुपर
धनियांबांरा
सोंफकोटा
जीरा, इसबगोलजालौर
हल्दी, अदरकउदयपुर
मैथीनागौर
लहसूनचित्तैडगढ़
फल उत्पादनगंगानगर
फलसर्वाधिक उत्पादक जिला
अंगूरश्री गंगानगर
कीन्नूश्री गंगानगर
माल्टाश्री गंगानगर
मौसमीश्री गंगानगर
संतराझालावाड़(राजस्थान का नागपुर)
चीकूसिरोही
सेबमाउन्ट आबू (सिरोही)
नींबूधौलपुर
आमभरतपुर
केलाबांसवाडा
नाशपतिजयपुर
मतीराटोंक/बीकानेर
पपीता/खरबूजाटोंक

केन्द्रीय कृषि अनुसंधान संस्थान -दुर्गापुरा (जयपुर)

यांत्रिक कृषि फार्म

सूरतगढ़ यांत्रिक कृषि फार्म – गंगानगर

क्षेत्रफल -12410 वर्ग हैक्टेयर

स्थापना- 15 अगस्त 1956

एशिया का सबसे बड़ा यांत्रिक कृषि फार्म है। सोवियत संघ के सहयोग से स्थापित किया। इसका मुख्य कार्य कृषि क्षेत्र में यंत्रों को बढ़ावा देना, अच्छी नस्ल के पशुओं का कृषि कार्य में उपयोग करना है।

जैतसर यांत्रिक कृषि फार्म – श्रीगंगानगर

स्थापना -26 जनवरी 1962 (कनाडा)

क्षेत्रफल -12140 वर्ग हेक्टेयर

एशिया का दूसरा सबसे बडा यांत्रिक फार्म

कृषि से संबंधित योजनाऐं

1.भागीरथ योजना

कृषि संबंधित इस योजना के अन्तर्गत स्वयं ही खेती में ऐसे लक्ष्य निर्धारित करता है। जो कठिन होता हैं और उन लक्ष्यों को प्राप्त करने में प्रयत्न भी करते है। इसके लिए जयपुर में विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है।

2.निर्मल ग्राम योजना

गांवो में कचरे का उपयोग कर कम्पोस खाद तैयार करने हेतु शुरू की गई।

राजस्थान की मंडिया

जीरा मंडीमेडता सिटी (नागौर)
सतरा मंडीभवानी मंडी (झालावाड)
कीन्नू व माल्टा मंडीगंगानगर
प्याज मंडीअलवर
अमरूद मंडीसवाई माधोपुर
ईसबगोल (घोडाजीरा) मंडीभीनमाल (जालौर)
मूंगफली मंडीबीकानेर
धनिया मंडीरामगंज (कोटा)
फूल मंडीअजमेर
मेहंदी मंडीसोजत (पाली)
लहसून मंडीछीपा बाडौद (बांरा)
अशवगन्धा मंडीझालरापाटन (झालावाड)
टमाटर मंडीबस्सी (जयपुर)
मिर्च मंडीटोंक
मटर(जयपुर)
टिण्डा मंडीशाहपुरा (जयपुर)
सोनामुखी मंडीसोजत (पाली)
आंवला मंडीचोंमू (जयपुर)

राजस्थान में प्रथम निजी क्षेत्र की कृषि मण्डी कैथून (कोटा) मेंआस्ट्रेलिया की ए.डब्लू.पी. कंपनी द्वारा स्थापित की गई है।

राजस्थान में सर्वाधिक गुलाब का उत्पादन पुष्कर (अजमेर) में होता है। वहां का ROSE INDIA गुलाब अत्यधिक प्रसिद्ध है। राजस्थान मे चेती या दशमक गुलाब की खेती खमनौगर (राजसमंद) में होती है।

रतनजोत- सिरोही, उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाडा

अफीम- चित्तौडगढ़, कोटा, झालावाड

सोयाबीन – झालावाड़, कोटा, बांरा

हरित क्रांति

नारमन. ए. बोरलोग नामक कृषि वैज्ञानिक ने शुरू की 1966 में भारत में इसकी शुरूआत एम.एस. स्वामीनाथन ने की।

श्वेत क्रांति

भारत में इसकी शुरूआत वर्गीज कुरियन द्वारा 1970 में की गई। इस क्रांति को “आपरेशन फ्लड” भी कहते है। डाॅ वर्गीज कुरियन अमूल डेयरी के संस्थापक भी है। जिसका मुख्यालय गुजरात को आनंद जिला है।

राज्य में संविदा खेती 11 जून 2004 में प्रारम्भ हुई

जालौर -समग्र मादक पदार्थो उत्पादन की दृष्टि से प्रथम स्थान पर है।

कृषि के प्रकार

  1. शुष्क कृषि
  2. सिचित कृषि
  3. मिश्रित कृषि

1.शुष्क कृषि

ऐसी कृषि जो रेगिस्तानी भागों में जहां सिचाई का अभाव हो शुष्क कृषि की जाती है। इसमें भूमि मेे नमी का संरक्षण किया जात है।

(अ) फंवारा पद्धति

(ब) ड्रिप सिस्टम

इजराइल के सहयोग से। शुष्क कृषि में इसका उपयोग किया जाता है।

2 सिंचित कृषि

जहां सिचाई के साधन पूर्णतया उपलब्ध है। उन फसलों को बोया जाता है जिन्हें पानी की अधिक आवश्यकता होती है।

3.मिश्रित कृषि

जब कृषि के साथ-साथ पशुपालन भी किया जाता है तो उसे मिश्रित कृषि कहा जाता है।

4.मिश्रित खेती

जब दो या दो से अधिक फसले एक साथ बोई जाये तो उसे मिश्रित खेती कहते है।

5.झुमिंग कृषि

इस प्रकार की कृषि में वृक्षों को जलाकर उसकी राख को खाद के रूप में प्रयोग किया जाता है। राजस्थान में इस प्रकार की खेती को वालरा कहा जाता है। भील जनजाति द्वारा पहाडी क्षेत्रों में इसे “चिमाता” व मैदानी में “दजिया” कहा जाता है। इस प्रकार की खेती से पर्यावरण को अत्यधिक नुकसान पहुंचता है। राजस्थान में उदयपुर, डूंगरपुर, बांरा में वालरा कृषि की जाती है।

कृषि जलवायु क्षेत्र

जोनक्षेत्र का नामकुल क्षेत्र (मिलियन हेक्टेयर)जिलेंऔसत वर्षा (मिमी)तापमान(०c)प्रमुख फसलेंमृदा
Max.Min.खरीफरबी
IAपश्चिमी शुष्क मैदान4.74बाड़मेर तथा जोधपुर का कुछ भाग200-37040.08.0बाजरा, मोठ, गवारफली, तिलगेहूं, सरसों, जीरारेगिस्तानी मृदा और रेत के टीलों वातज मिट्टी,बनावट में मोटी रेत, कुछ स्थानों चूना जैसी
IBउत्तरी पश्चिमी सिंचित मैदान2.10श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़100-35042.04.7कपास, गवारफलीगेहूं, सरसों, चनाजलोढ़ कैल्शियम युक्त, उच्च घुलनशील लवण और विनिमेय सोडियम, रेतीली मिट्टी और रेत के टीलों वातज मिट्टी, बनावट में कैल्शियम युक्त व बलुई मोटी
ICअति शुष्क आंशिक सिंचित क्षेत्र7.70बीकानेर, जैसलमेर, चुरू100-35048.03.0बाजरा मोठ ग्वारगेहूं, सरसों, चनारेगिस्तानी रेतीली मिट्टी और रेत के टीलों वातज मिट्टी, बनावट बलुई मोटी और कैल्शियम युक्त
IIAआंतरिक जल-निकासी शुष्क क्षेत्र3.69नागौर, सीकर, झुंझुनू, चुरु का कुछ हिस्सा300-50039.75.3बाजरा, गवारफली, दलहनसरसों, चनागड्ढों में रेतीली दोमट व भूरे रंग की गहरी लाल मिट्टी
IIBलूनी बेसिन का मैदान3.00जालौर, पाली व सिरोही, जोधपुर का कुछ भाग300-50038.04.9बाजरा, गवारफली, तिलसरसों, चनाजोधपुर, जालोर व पाली में रेतीली लाल मिट्टी, पाली व सिरोही में पाली sierzems मृदा
IIIAअर्ध शुष्क पूर्वी मैदान2.96जयपुर, अजमेर, दौसा, टोंक500-70040.68.3बाजरा, ग्वारफली, चारा, ज्वारगेंहूं, सरसों, चनापूर्वी भाग में जलोढ़, उत्तर-पश्चिम में लिथोसोल, पहाड़ियों के निचले भाग में भूरे रंग की मृदा
IIIBबाढ़ प्रवण पूर्वी मैदान2.77अलवर, धौलपुर, भरतपुर, करौली, सवाई माधोपुर500-70040.08.2बाजरा ग्वारफली मूंगफलीगेहूं, जौ, सरसों, चनाजल जमाव के लिए प्रवण जलोढ़ मृदा, हाल ही में इस जलोढ़ की कैल्शियम प्रकृति प्रेक्षित की गई है
IVAउप आर्द्र दक्षिणी मैदानी3.36भीलवाड़ा, सिरोही, उदयपुर, चित्तौड़गढ़500-90038.68.1मक्का, दलहन, ज्वारगेहूं, चनापहाड़ियों के निचले भागों में मिट्टी lithosolsat और मैदानों में alluvials हैं
IVBनम दक्षिणी मैदान1.72डूंगरपुर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़500-110039.07.2मक्का, धान ज्वार काला चनागेहूं, चनामुख्य रूप से लाल मध्यम बनावट, अच्छी तरह से सूखी कैल्शियम युक्त मृदा। पहाड़ी क्षेत्र में उथली किन्तु पर घाटियों में गहरी मृदा।
Vआर्द्र दक्षिण पूर्वी मैदान2.70कोटा, झालावाड़, बूंदी, बारां650-100042.610.6ज्वार सोयाबीनगेहूं, सरसोंमूल रूप से काली जलोढ़, दोमट मृदा, भूजल में लवणता

तथ्य(fact )

देश की सबसे बड़ी फर्टिलाइजर कंपनी इफको ने रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करने के प्रयासों के तहत पहली बार ‘नैनो-प्रौद्योगिकी’ आधारित फर्टिलाइजर पेश किये हैं। कंपनी ने नैनो नाइट्रोजन, नैनो जिंक और नैनो कॉपर नाम से ये उत्पाद लॉन्च किये हैं। ये पर्यावरण के अनुकूल उत्पाद भारत में पहली बार पेश किए गए हैं। ये उत्पाद पारंपरिक रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को 50 फीसदी तक कम करेंगे।

THANKS TO SUPPORT

JOIN TELEGRAM : राजस्थान की सिंचाईं परियोजना / Rajasthan ki Sinchai Pariyojnaye

1 thought on “राजस्थान में कृषि(AGRICULTURE IN RAJASTHAN) – GURUGGKWALA”

Comments are closed.