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1. प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के पूर्णतः स्वदेशी 4G स्टैक और 1 लाख बीएसएनएल स्वदेशी 4G टावरों का उद्घाटन किया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल बुनियादी ढांचे के विस्तार के एक बड़े प्रयास के तहत, समूचे भारत में सत्तानवें हजार पांच सौ से अधिक नए 4G मोबाइल टावरों का उद्घाटन किया है। इनमें 92 हजार छह सौ टावर पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक से लैस हैं। बीएसएनएल द्वारा लगभग सैंतीस हजार करोड़ रुपये की लागत से स्थापित इन टावरों से और तीस हजार गाँवों में हाई-स्पीड इंटरनेट पहुँचने की उम्मीद है। प्रधानमंत्री मोदी ने ओडिशा में झारसुगुडा के एक दिन के दौरे के दौरान इस सेवा की शुरुआत की घोषणा करते हुए कहा कि भारत 2G, 3G और 4G तकनीकों के मामले में पिछड़ रहा था। उन्होंने कहा कि बीएसएनएल का स्वदेशी रूप से विकसित 4G नेटवर्क अब भारत को उन गिने-चुने देशों में शामिल कर रहा है जो अपना दूरसंचार नेटवर्क बनाने में सक्षम हैं। प्रधानमंत्री ने ओडिशा के बरहामपुर और गुजरात के सूरत स्थित उधना के बीच अमृत भारत एक्सप्रेस को भी हरी झंडी दिखाई और दो मेडिकल कॉलेजों- बरहामपुर स्थित एमकेसीजी मेडिकल कॉलेज और बुर्ला-संबलपुर स्थित वीआईएमएसएआर के उन्नयन की घोषणा की।
2. प्रधानमंत्री ने विश्व खाद्य भारत 2025 के चौथे आयोजन का उद्घाटन किया
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 25 सितंबर 2025 को नई दिल्ली स्थित भारत मंडपम में वर्ल्ड फ़ूड इंडिया 2025 के चौथे संस्करण का उद्घाटन किया। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा आयोजित इस प्रमुख वैश्विक आयोजन ने एक बार फिर भारत को “विश्व की खाद्य टोकरी” के रूप में स्थापित किया और खाद्य प्रसंस्करण में भारत के नेतृत्व को मज़बूत किया। प्रधानमंत्री ने वर्ल्ड फ़ूड इंडिया के प्रदर्शनी मंडप का दौरा किया और पोषण, तेल की खपत में कमी और पैकेजिंग के स्वास्थ्य संबंधी पहलुओं को और बेहतर बनाने पर संतोष जताया। इस अवसर पर रूस के उप-प्रधानमंत्री श्री दिमित्री पत्रुशेव, केंद्रीय मंत्री श्री चिराग पासवान और श्री प्रतापराव जाधव भी उपस्थित रहे। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने आयोजन के पहले दिन, खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र की अग्रणी घरेलू और वैश्विक कंपनियों के साथ ₹76,000 करोड़ से अधिक के समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए। ये निवेश पेय पदार्थ, डेयरी और कन्फेक्शनरी सहित प्रमुख उप-क्षेत्रों में फैले हुए हैं, और गुजरात, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश से लेकर आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, पंजाब, पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर क्षेत्र तक विस्तृत भूगोल को कवर करते हैं।
3. बिहार के गोकुल जलाशय और उदयपुर झील को मिला रामसर साइट का दर्जा
बिहार ने जैव विविधता और आर्द्रभूमि संरक्षण के क्षेत्र में एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। राज्य के बक्सर जिले में स्थित गोकुल जलाशय (448 हेक्टेयर) और पश्चिम चंपारण जिले की उदयपुर झील (319 हेक्टेयर) को अंतरराष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि यानी रामसर साइट का दर्जा मिल गया है। इसके साथ ही बिहार में ऐसे स्थलों की संख्या बढ़कर पांच हो गई है, और भारत में कुल 93 रामसर स्थल हो गए हैं। गोकुल जलाशय बक्सर जिले में स्थित एक महत्वपूर्ण आर्द्रभूमि है, जो गंगा नदी की बाढ़ों से प्रभावित है। यह जलाशय न केवल पारिस्थितिकीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि स्थानीय समुदायों के लिए भी आजीविका का स्रोत है। यहाँ 50 से अधिक पक्षी प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जो इसकी जैव विविधता को दर्शाती हैं। बाढ़ के समय यह जलाशय प्राकृतिक बफर का काम करता है, जिससे आसपास के गांवों को आपदा से सुरक्षा मिलती है। उदयपुर झील पश्चिम चंपारण जिले में स्थित एक प्राकृतिक ऑक्सबो झील है, जो अपनी विशिष्ट पारिस्थितिकी के लिए जानी जाती है। इस झील में 280 से अधिक वनस्पति प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जो इसकी समृद्ध जैव विविधता को उजागर करती हैं। उदयपुर झील 35 प्रवासी पक्षियों के लिए शीतकालीन ठिकाना है, जिनमें असुरक्षित कॉमन पोचार्ड जैसी प्रजातियाँ शामिल हैं। यह झील उदयपुर वन्यजीव अभयारण्य के घने जंगलों से घिरी हुई है, जो इसके संरक्षण और प्राकृतिक सौंदर्य को और भी महत्वपूर्ण बनाता है।
4. हिमाचल प्रदेश स्थित शीत मरुस्थल बायोस्फीयर रिजर्व को यूनेस्को के विश्व बायोस्फीयर रिजर्व नेटवर्क में शामिल
हिमाचल प्रदेश स्थित शीत मरुस्थल बायोस्फीयर रिजर्व को यूनेस्को के विश्व बायोस्फीयर रिजर्व नेटवर्क में शामिल कर लिया गया है। चीन के हांग्जाऊ में आयोजित विश्व बायोस्फीयर रिजर्व कांग्रेस में यह घोषणा की गई। इसमें सतत विकास के एक मॉडल के रूप में इस क्षेत्र के महत्व को रेखांकित किया गया। यह बायोस्फीयर रिजर्व भारत के पश्चिमी हिमालय में लगभग सात हजार सात सौ सत्तर वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यह उच्च-ऊंचाई वाला रिजर्व अपने ऊबड़-खाबड़ भूभाग, अल्पाइन घास के मैदानों और दुर्लभ वन्यजीवों जैसे हिम तेंदुआ तथा हिमालयी आइबेक्स के लिए जाना जाता है। इसे वर्ष 2009 में पहली बार राष्ट्रीय बायोस्फीयर रिजर्व घोषित किया गया और अब यह शीत मरुस्थल वैश्विक नेटवर्क में भारत का 13वाँ स्थल है। इसमें पिन वैली राष्ट्रीय उद्यान और किब्बर वन्यजीव अभयारण्य जैसे संरक्षित क्षेत्र शामिल हैं, और यह लगभग 12 हजार लोगों का घर है।
5. तमिलनाडु में पाक खाड़ी में भारत के पहले डुगोंग संरक्षण रिज़र्व को मिली IUCN की मान्यता
अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) ने पाक खाड़ी में भारत के पहले डुगोंग संरक्षण रिज़र्व को मान्यता देने के प्रस्ताव को औपचारिक रूप से स्वीकार कर लिया है, जो देश के समुद्री संरक्षण प्रयासों का एक प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय समर्थन है। ओमकार फाउंडेशन द्वारा प्रस्तावित और अबू धाबी में IUCN विश्व संरक्षण कांग्रेस 2025 में स्वीकृत इस प्रस्ताव को दुनिया भर के सदस्यों का समर्थन प्राप्त हुआ। सरकारों में से 98% ने इसके पक्ष में मतदान किया, जबकि 94.8% गैर सरकारी संगठनों, शोध संस्थानों और संगठनों ने प्रस्ताव का समर्थन किया। मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने 25 सितंबर, 2025 को इस अभयारण्य को मिली वैश्विक मान्यता की सराहना की और तमिलनाडु वन विभाग तथा संरक्षण सहयोगियों के प्रयासों की सराहना की। वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत तमिलनाडु सरकार द्वारा 21 सितंबर, 2022 को स्थापित, डुगोंग संरक्षण रिज़र्व उत्तरी पाक खाड़ी में 448.34 वर्ग किमी में फैला है। इस क्षेत्र में 12,250 हेक्टेयर से अधिक समुद्री घास के मैदान हैं, जो डुगोंग (डुगोंग डुगोन) के लिए महत्त्वपूर्ण चारागाह हैं, जो IUCN की लाल सूची में विलुप्त होने के लिए संवेदनशील प्रजाति के रूप में सूचीबद्ध है। समुद्री घास कई अन्य समुद्री प्रजातियों का भी पोषण करती है, जिससे यह रिज़र्व पारिस्थितिक रूप से महत्त्वपूर्ण हो जाता है।
6. भारत ने IIT-मद्रास को संयुक्त राष्ट्र एआई उत्कृष्टता केंद्र के रूप में किया नामित
भारत ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास (IIT-मद्रास) को एआई के लिए संयुक्त राष्ट्र उत्कृष्टता केंद्र (COE) के रूप में नामित करके आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) में वैश्विक नेतृत्व की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम उठाया है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) द्वारा किए गए इस नामांकन की घोषणा न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र के एक उच्च-स्तरीय कार्यक्रम में की गई, जो विशेष रूप से ग्लोबल साउथ में एआई क्षमता निर्माण, कौशल विकास और समावेशी डिजिटल विकास के प्रति भारत की बढ़ती प्रतिबद्धता का संकेत देता है। एक प्रतिष्ठित संस्थान के रूप में मान्यता प्राप्त, IIT-मद्रास भारत में एआई अनुसंधान, कौशल विकास और नवाचार में अग्रणी रहा है। संयुक्त राष्ट्र उत्कृष्टता केंद्र के रूप में इसका नामांकन, संयुक्त राष्ट्र डिजिटल और उभरती प्रौद्योगिकी कार्यालय (ओडीईटी) द्वारा वैश्विक एआई केंद्रों का एक नेटवर्क बनाने की पहल का हिस्सा है। ODET एक ऐसा संगठन है जिसकी स्थापना संयुक्त राष्ट्र को एआई प्रशासन के क्षेत्रों सहित तेज़ी से विकसित हो रहे तकनीकी परिदृश्य द्वारा उत्पन्न अवसरों और चुनौतियों का अधिक प्रभावी ढंग से समाधान करने में मदद करने के लिए की गई है। विभिन्न देश ODET के तहत एक संस्थान को नामित करेंगे ताकि उत्कृष्टता केंद्रों का एक नेटवर्क बनाया जा सके।
7. सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने जारी की वन पर पर्यावरण लेखा 2025 रिपोर्ट
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) ने 25-26 सितंबर, 2025 को चंडीगढ़ में आयोजित केंद्रीय एवं राज्य सांख्यिकी संगठनों (CoCSSO) के 29वें सम्मेलन के उद्घाटन सत्र के दौरान 25 सितंबर, 2025 को “वन पर पर्यावरण लेखा-2025” शीर्षक से पर्यावरण लेखा-जोखा से संबंधित प्रकाशन का लगातार आठवाँ अंक संकलित और जारी किया। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) द्वारा जारी, यह पर्यावरण लेखा से संबंधित लगातार 8वाँ अंक है। यह संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण आर्थिक लेखा प्रणाली (SEEA) ढाँचे पर आधारित वन लेखांकन पर पहला समर्पित प्रकाशन भी है। 2010-11 से 2021-22 तक, भारत का वन क्षेत्र 17,444.61 वर्ग किलोमीटर (22.50%) बढ़कर 7.15 लाख वर्ग किलोमीटर (भौगोलिक क्षेत्र का 21.76%) हो गया, जो प्रभावी पुननिर्माण और संरक्षण प्रयासों का संकेत है। राज्यवार स्तर पर प्रमुख वृद्धि: केरल (4,137 वर्ग किलोमीटर), कर्नाटक (3,122 वर्ग किलोमीटर), और तमिलनाडु (2,606 वर्ग किलोमीटर)। 2013 और 2023 के बीच, भारत के वन विस्तार लेखा में 3,356 वर्ग किलोमीटर की शुद्ध वृद्धि दर्ज की गई, जो मुख्यतः पुनर्वर्गीकरण और सीमा समायोजन की वजह से हुई। रिकॉर्ड किए गए वन क्षेत्र (आरएफए) में विशेष वृद्धि वाले राज्य: उत्तराखंड (6.3%), ओडिशा (1.97%), और झारखंड (1.9%)। वन स्थिति लेखा में एक प्रमुख संकेतक, वृद्धि क्षेत्र, जीवित वृक्षों में इस्तेमाल योग्य लकड़ी की मात्रा को प्रतिबिंबित करता है। 2013 और 2023 के बीच, भारत के वृद्धि क्षेत्र में 305.53 मिलियन घन मीटर (7.32%) की बढ़ोतरी हुई। सबसे बड़े योगदानकर्ता: मध्य प्रदेश (136 मिलियन घन मीटर), छत्तीसगढ़ (51 मिलियन घन मीटर), और तेलंगाना (28 मिलियन घन मीटर); केंद्र शासित प्रदेशों में, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (77 मिलियन घन मीटर)।
8. सीएसआईआर-एएमपीआरआई द्वारा डिज़ाइन और विकसित सोडार प्रणाली सुविधा का आईएमडी में उद्घाटन
वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के स्थापना दिवस, 26 सितंबर 2025 के शुभ अवसर पर, सीएसआईआर-उन्नत सामग्री और प्रक्रिया अनुसंधान संस्थान (एएमपीआरआई), भोपाल द्वारा डिजाइन और विकसित सोडार (साउंड डिटेक्शन एंड रेंजिंग) सिस्टम सुविधा का उद्घाटन भारत मौसम विज्ञान विभाग, (आईएमडी), दिल्ली में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) के सचिव डॉ. एम. रविचंद्रन, भारत मौसम विज्ञान विभाग के मौसम विज्ञान महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय महापात्र और सीएसआईआर-एएमपीआरआई, भोपाल के निदेशक प्रो. डॉ. थल्लादा भास्कर द्वारा किया गया। सीएसआईआर-एएमपीआरआई और आईएमडी के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए और सीएसआईआर-एएमपीआरआई, भोपाल के निदेशक प्रो. डॉ. थल्लादा भास्कर और भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के मौसम विज्ञान महानिदेशक, डॉ. मृत्युंजय महापात्र के बीच दस्तावेजों का आदान-प्रदान किया गया। इस समझौता ज्ञापन का उद्देश्य मौसम, जलवायु परिवर्तनश, पूर्वानुमान और आपदा जोखिम न्यूनीकरण से संबंधित वैज्ञानिक और सामाजिक चुनौतियों पर बल देते हुए जलवायु तथा पर्यावरण अध्ययन में सीएसआईआर-एएमपीआरआई और आईएमडी के बीच सहयोगात्मक अनुसंधान कार्य को बढ़ाना है।
9. आयुष मंत्रालय ने गोवा के अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान में देश के पहले एकीकृत ऑन्कोलॉजी अनुसंधान एवं देखभाल केंद्र का शुभारंभ किया
आयुष मंत्रालय ने कैंसर देखभाल में एकीकृत चिकित्सा के माध्यम से बदलाव की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल करते हुए 10वें राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस पर गोवा के धारगल स्थित अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) में एकीकृत ऑन्कोलॉजी अनुसंधान एवं देखभाल केंद्र (आईओआरसीसी) का शुभारंभ किया। यह अत्याधुनिक केंद्र भारत में अपनी तरह का पहला संस्थान है, जिसे पारंपरिक ज्ञान एवं आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के समन्वय के माध्यम से रोगी-केंद्रित और साक्ष्य-आधारित कर्करोग उपचार विज्ञान पुनर्वास उपलब्ध कराने के उद्देश्य से स्थापित किया गया है। इस केंद्र का वर्चुअल शुभारंभ गोवा के राज्यपाल श्री पुसापति अशोक गजपति राजू ने किया। आईओआरसीसी देश के उन अग्रणी बहु-विषयक केंद्रों में से है, जो आयुर्वेद, योग, फिजियोथेरेपी, आहार चिकित्सा, पंचकर्म और आधुनिक कर्करोग उपचार विज्ञान को एक ही छत के नीचे समन्वित करता है। इसे विशेष रूप से समग्र व रोगी को विशेष रूप से ध्यान में रखते हुए देखभाल उपलब्ध कराने के लिए विकसित किया गया है, जहां पर व्यापक पुनर्वास सेवाओं के माध्यम से कैंसर रोगियों को संपूर्ण सहयोग तथा बेहतर जीवन गुणवत्ता प्रदान करने पर विशेष बल दिया जाता है।
10. पंचायती राज मंत्रालय 2 अक्टूबर से देश में “सबकी योजना, सबका विकास” अभियान शुरू करेगा
पंचायती राज मंत्रालय 2 अक्टूबर से देश में जन योजना अभियान “सबकी योजना, सबका विकास” अभियान शुरू करेगा। मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि यह राष्ट्रव्यापी अभियान वित्तीय वर्ष 2026-27 के लिए पंचायत विकास योजनाओं की तैयारी की प्रक्रिया शुरू करेगा। मंत्रालय ने कहा कि अभियान का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर सेवा वितरण और बेहतर परिणाम लाने के लिए सहभागी, पारदर्शी और जवाबदेह स्थानीय शासन को मजबूत करना है। पंचायती राज मंत्रालय ने बताया कि इस अभियान का विशेष ध्यान आदि कर्मयोगी अभियान के तहत जनजातीय सशक्तिकरण पर होगा, जिससे ग्राम सभाएँ राष्ट्रीय लक्ष्यों के अनुरूप समावेशी विकास के लिए निर्णायक मंच बन सकेंगी।
11. नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में शुरू हुई 12वीं विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप
12वीं विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में शुरू हो गई है। नौ दिनों तक चलने वाली इस प्रतियोगिता में कुल 186 पदक स्पर्धाएँ होंगी। इनमें पुरुषों के लिए 101, महिलाओं के लिए 84 और एक मिश्रित स्पर्धा में स्प्रिंट से लेकर धीरज दौड़ तक शामिल हैं। चैंपियनशिप का समापन अगले महीने की 5 तारीख को होगा। पेरिस पैरालंपिक क्लब थ्रो में स्वर्ण पदक विजेता धरमबीर नैन और दो बार कांस्य पदक जीतने वाली धावक प्रीति पाल इस समारोह में भारत के ध्वजवाहक होंगे। स्वर्ण पदक विजेता भाला फेंक खिलाड़ी सुमित अंतिल स्वर्ण पदकों की हैट्रिक पूरी करने के प्रबल दावेदार होंगे।
12. दक्षिण कोरिया में विश्व तीरंदाजी पैरा चैंपियनशिप में शीतल देवी ने रचा इतिहास
दक्षिण कोरिया के ग्वांग्जू में विश्व तीरंदाजी पैरा चैंपियनशिप में महिलाओं की कंपाउंड व्यक्तिगत स्पर्धा में शीतल देवी ने तुर्किये की दुनिया की नंबर एक पैरा तीरंदाज ओजनूर क्यूर गिर्डी को हराकर स्वर्ण पदक जीता और इतिहास रच दिया। स्पर्धा में शीतल एकमात्र बिना बाजू वाली पैरा तीरंदाज हैं। वह निशाना लगाने के लिए अपने पैरों और ठुड्डी का इस्तेमाल करती हैं। यह चैंपियनशिप में उनका तीसरा पदक है। इससे पहले शीतल और सरिता ने कंपाउंड महिला ओपन टीम स्पर्धा में रजत पदक जीता। इसके अलावा शीतल ने तोमन कुमार के साथ मिलकर कंपाउंड मिक्स्ड टीम स्पर्धा में भी कांस्य पदक जीता।
13. हिमांशी टोकस जूनियर विश्व रैंकिंग में शीर्ष पर पहुँचने वाली बनीं पहली भारतीय जूडो खिलाड़ी
20 साल की छोटी उम्र में, जूडोका हिमांशी टोकस ने इतिहास रच दिया क्योंकि वह जूडो में विश्व की नंबर 1 खिलाड़ी बनने वाली पहली भारतीय जूडोका बन गईं। इसके अलावा, पिछले हफ्ते इंडोनेशिया में एशियाई जूनियर चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर हिमांशी ने एशिया में नंबर 1 जूडोका स्थान हासिल किया।गुजरात की एक अन्य जूडोका शाहीन दरजादा के उभरने पर भी प्रकाश डाला, जो जूनियर महिला 57 किग्रा वर्ग में विश्व में चौथे स्थान पर हैं। यह पहली बार है कि दो भारतीय जूडोका विश्व रैंकिंग में शीर्ष पाँच में शामिल हैं।
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