भारतीय संविधान में वर्णित अनुसूचियां -GURUGKWALA


भारतीय संविधान में वर्णित अनुसूचियां

(1) प्रथम अनुसूची

इसमें संघ एवं राज्य क्षेत्रों का वर्णन दिया गया है। 7 वां संविधान संशोधन 1956 से इसमें 14 राज्य एवं 6 केन्द्रशासित प्रदेश रखे गये थे। वर्तमान में 29 राज्य व 7 केन्द्र शासित प्रदेश है।

रियासतों के एकीकरण से पूर्व भारत में 4 श्रेणियों में राज्य बंटे हुए थे।

A श्रेणी – इसमें उन राज्यों को रखा गया जो सीधे वायसराय के अधीन थे।

B श्रेणी – एक या एक से अधिक रियासतों से मिलकर बनने वाले राज्यों को रखा गया।

C श्रेणी – चीफ कमीश्नरी या आयुक्त प्रान्तों को रखा गया।

D श्रेणी – अण्डमान निकोबार द्वीप समूह को रखा गया।

तत्कालीन समय में राजस्थान B श्रेणी का राज्य था।

भाषाई दृष्टि से राज्यों के गठन की मांग को ध्यान में रखते हुए 1947 में एस. के. धर आयोग का गठन किया गया।

इसकी सिफारिशों की जांच हेतु दिसम्बर 1948 में जे. बी. पी. समिति बनाई गई।

व्यवस्था – सघांनात्मक(अमेरिका)

व्यवस्था – संघीय(कनाड़ा)

भाषा के आधार पर – राज्यों का पुनर्गठन

1947 – एस. के. दर आयोग(4 सदस्य कमेटी)

भाषा के आधार पर राज्यों का गठन न करने की सिफारिश

1948 – जे. बी. समिति (समीक्षा के लिए)(जवाहरलाल, वल्ल्भ भाई पटेल, पद्धाभि सीतारमैथ्या) भाषा एक मुख्य मुद्दा हो सकता है लेकिन इसके साथ-साथ राज्य प्रशासनिक संचालन की व्यवस्था को भी ध्यान में रखा जाए।

1 अक्टूबर 1953 – भाषा के आधारपर – आध्रप्रदेश का गठन करना पड़ा।

दिसम्बर 1953 – फैजल अली आयोग/ राज्य पूनर्गठन आयोग।

अध्यक्ष – फैजल अली 2 अन्य सदस्य – हृदयनाथ कुंजरू, के. एम. पणिमकर।

इन्होंने 1955 में अपनी रिपोर्ट दि जिसके आधार पर सातवां संविधान संशोधन 1956 लाया गया। इसमें राज्यों की A,B,C,D श्रेणियों को समाप्त कर A व B श्रेणियां बनाई जिसमें A श्रेणियों में राज्यों को तथा B में केन्द्रशासित प्रदेश को रखा गया।

1 मई 1960 में बम्बई(बाम्बे) से दो राज्यों का पुनर्गठन महाराष्ट्र व गुजरात का हुआ।

18 दिसम्बर 1961 को गोवा, दमन व द्वीप भारत संघ में पहली अनुसुची के अन्तर्गत जोड़े गये।

1 दिसम्बर 1963 को नागालैण्ड का गठन किया गया।

1 नवम्बर 1966 पंजाब राज्य का पूर्नगठन कर इसमें हरियाणा व पंजाब दो राज्य व चण्डीगढ़ एक केन्द्रशासित प्रदेश बनाया।

25 जनवरी 1971 हिमाचल प्रदेश राज्य का गठन किया गया।

1972 में मणिपुर, मेघालय और त्रिपुरा का गठन किया गया।

26 अप्रैल 1975 सिक्किम को 36 वें संविधान संशोधन 1975 में भारत संघ में मिलाया । इससे पुर्व यह सहराज्य था।

20 फरवरी 1987 को मिजोरम व अरूणाचल प्रदेश का गठन किया गया।

30 मई 1987 गोवा को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया तथा यह 25 वां राज्य बना।

अन्तिम चार राज्यों का गठन –

26. छतीसगढ़ – 1 नवम्बर 2000 – मध्य प्रदेश से अलग हुआ

27. उत्तराखण्ड – 9 नवम्बर 2000 – उत्तरप्रदेश से अलग हुआ

28 झारखण्ड – 15 नवम्बर 2000 – बिहार से अलग हुआ

29 तेलंगाना – फरवरी 2014 – आन्ध्रप्रदेश से अलग हुआ

तेलंगाना को श्री बी. एन. कृष्णा आयोग की सिफारिशों के आधार पर आंध्रप्रदेश राज्य में से पुर्ण गणित कर बनाया गया है।

दूसरी अनुसुची

प्रमुख संवैधानिक पदाधिकारीयों के वेतन और अन्य सुविधाओं का वर्णन है।

राष्ट्रपति का वेतन – 1,50,000 मासिक

उपराष्ट्रपति का वेतन – 1,25,000 मासिक

लोकसभा अध्यक्ष का वेतन – 1,25,000 मासिक

राज्यपाल का वेतन – 1,10,000 मासिक

सर्वोच्च न्यायलय के मुख्य न्यायधिश का वेतन – 1,00,000 व अन्य न्यायधिश का वेतन – 90,000 मासिक।

उच्च न्यायलय के मुख्य न्यायधिश का वेतन – 90,000 व अन्य न्यायधिश का वेतन – 80,000।

नियन्त्रक व महालेखा परीक्षक का वेतन – 90,000

मुख्य निर्वाचन आयुक्त का वेतन – 90,000

मुख्य सर्तकता आयुक्त का वेतन – 90,000 मासिक।

तीसरी अनुसुची

प्रमुख सवैधानिक पदाधिकरीयों की शपथ का वर्णन।

अपवाद – राष्ट्रपति की शपथ

चतुर्थ अनुसुची

राज्य सभा में सीटों के वितरण का आधार भारत की जनसंख्या को माना गया है।

पांचवी अनुसुची

इसमें अनुसुचित जनजातीयों के क्षेत्रों व प्रशासन का संचालन एवम् नियत्रण का वर्णन है।

छठी अनुसुची

इसमें मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा और असम के पहाडी जनजाती क्षेत्रों के प्रशासन व नियंत्रण का क्षेत्र का वर्णन है।

यहां पहाड़ी जनजाती परिषद बनी हुई है जहां प्रशासन नियंत्रण राष्ट्रपति के हाथों में है।

सातवीं अनुसुची

इसके अन्तर्गत केन्द्र व राज्यों सम्बन्धों का वर्णन दिया गया है। इसमें तीन सुचीयों का प्रावधान है।

(1) केन्द्र/संघ सुची – कानुन बनाने का अधिकार केन्द्र सरकार को है।

विषय – 97(मुल) गणना – 99

प्रमुख विषय – रेल, वायु, जल(परिवहन) जनगणना, रक्षा,विदेश सम्बध, बैंक, आयकर, आयात निर्यात, साइबर अपराध, वायदा व्यापार इत्यादि।

(2) राज्य सुची – इस पर कानून बनाने का अधिकार राज्य सरकारों को होता है।

विषय – पशुधन, भुमि, खनन, सहकारिता, विधुत, स्थानीय-शासन,स्वास्थ्य, मनोरंजन, जेल, पुलिस, शराब(आबकारी), खेल।

(3) समवर्ती सुची – कानुन बनाने का अधिकार केन्द्र व राज्य दोनों को है। लेकिन दोनों के कानुनों में गतिरोध उत्पन्न होने पर केन्द्र का कानुन मान्य होगा।

विषय – 47(मुल) गणना- 52

5 विषयों को 42 वे संविधान संशोधन 1976 से राज्य सुची से निकालकर समवर्ती सुची में जोड़ा गया।

प्रमुख विषय – शिक्षा,वन, वन्य जीव एवं अभ्यारण, परिवार नियोजन/जनसंख्या नियंत्रण,माप एवं तौल(बाट) विवाह, दत्तक संतान,विवाह विच्छेद(तलाक)।

आठवीं अनुसुची

इसमें राज भाषाओं का वर्णन किया गया है। मुल संविधान में 14 राजभाषाऐं थी। 15 वीं राज भाषा सिंधी को जोड़ा गया।

इसे 21 वां संविधान संशोधन 1967 के तहत जोड़ा गया।

71 वां संविधान संशोधन 1992 – नेपाली, कोकंणी, मणिपुरी।

92 वां संविधान संशोधन 2003 – संथाली, डोगरी, मैथली, बोडो।

वर्तमान में 22 भाषाएं सम्मिलित है

नौवीं अनुसुची

इसमें भूमि सुधार कानुनों को जोड़ा गया। इसे प्रथम संविधान संशोधन 1951 द्वारा जोड़ा गया। इसमें मूलत 13 कानूनों को रखा गया वर्तमान में इसकी संख्या 284 है।नौवीं अनुसुची को न्यायलय की समीक्षा से बाहर किया गया था लेकिन जनवरी 2007 में सर्वोच्च न्यायलय ने अपने फैसले में कहा कि 1973 के बाद इस अनुसूची में जोड़े गये कानूनों की समीक्षा न्यायलय कर सकता है। क्योंकी यह अनुसूची भी संविधान का भाग है।

दसवीं अनुसुची

इसे 52 वें सविधान संशोधन 1985 द्वारा जोड़ा गया। प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्य काल में। इसमें दलबदल परिवर्तन निषेध कानूनों को जोड़ा गया है।

ग्याहरवीं अनुसुची

इसे 73 वें संविधान संशोधन 1992 द्वारा जोड़कर पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया है। इसमें भाग 9 के अन्तर्गत अनुच्छेद 243 में 16 कानून और 29 विषयों को जोड़ा गया है।

बाहरवीं अनुसुची

इसे 74 वे संविधान संशोधन 1992 से जोड़ा गया है। इसमें स्थानीय नगरीय शासन को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया है। इसमें भाग 9(क) के अन्तर्गत अनुच्छेद 243 P से Z तक 18 कानुन व 18 कार्य(विषय) जोडे गये है।

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