महान्यायवादी -GURUGGKWALA

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महान्यायवादी अनुच्छेद -76

महान्यायवादी भारत संघ का प्रथम विधि अधिकारी है। यही वह पदाधिकारी है जो संसद का सदस्य हुये बिना संसद की कार्यवाही में भाग ले सकता है अपना मत व्यक्त कर सकता है लेकिन मतदान में भाग नहीं ले सकता।

महान्यायवादी की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है तथा वह उसके प्रसादपर्यन्त पद धारण करता है।

महान्यवादी बनने के लिए वही अर्हताएं होनी चाहिए जो उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश बनने के लिए होती है।

राष्ट्रपति, उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त होने के लिए अर्हित किसी व्यक्ति को भारत का महान्यायवादी नियुक्त करेगा।

महान्यायवादी का यह कर्तव्य होगा कि वह भारत सरकार को विधि संबंधी ऐसे विषयों पर सलाह दे और विधिक स्वरूप के ऐसे अन्य कर्तव्यों का पालन करे जो राष्ट्रपति उसको समय-समय पर निर्देशित करे या सौंपे और उन कृत्यों का निर्वहन करे जो उसको इस संविधान अथवा तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि द्वारा या उसके अधीन प्रदान किए गए हों।

महान्यायवादी को अपने कर्तव्यों के पालन में भारत के राज्यक्षेत्र में सभी न्यायालयों में सुनवाई का अधिकार होगा। महान्यायवादी, राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत पद धारण करेगा और ऐसा पारिश्रमिक प्राप्त करेगा जो राष्ट्रपति अवधारित करे।

भारत का पहला महान्यायवादी – एम. सी. सीतलवाड

वर्तमान – के.के. वेणुगोपाल

भारत का नियंत्रक और महालेखा परीक्षक अनुच्छेद 148 से 151

भारत की समस्त वित्तीय प्रणाली-संघ तथा राज्य स्तरों का नियन्त्रण भारत का नियंत्रक- महालेखा परीक्षक करता है। संविधान में नियंत्रक महालेखा परीक्षक का पद भारत शासन अधिनियम 1935 के अधीन महालेखा परीक्षक के ही अनुरूप बनाया गया है। नियंत्रक महालेखा परीक्षक की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है।

नियंत्रक महालेखा परीक्षक की पदावधि पद ग्रहण की तिथि से छः वर्ष होगी, लेकिन यदि इससे पूर्व वह 65 वर्ष की आयु प्राप्त करलेता है तो वह अवकाश ग्रहण कर लेता है।

अनुच्छेद 145 के अन्तर्गत सर्वोच्च न्यायालय की सिफारिश के आधार पर महावियोग जैसे प्रस्ताव से हटा सकते है। नियंत्रक महालेखा परीक्षक को उसके पद से केवल उसी रीति से और उन्हीं आधारों पर हटाया जाएगा जिस रिति से और जिन आधारों पर उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश को हटाया जाता है।

नियंत्रक महालेखा परीक्षक का वेतन उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के बराबर होता है। – 90,000 रू मासिक। नियंत्रक महालेखा परीक्षक सार्वजनिक धन का संरक्षक होता है।

नियंत्रक महालेखा परीक्षक सेवानिवृति के पश्चात् भारत सरकार के अधीन कोई पद धारण नहीं कर सकता।

भारत तथा प्रत्येक राज्य तथा प्रत्येक संघ राज्य क्षेत्र की संचित निधि से किए गए सभी व्यय विधी के अधीन ही हुए हैं। इसकी संपरीक्षा करता है।

यह सार्वजनिक धन के साथ-साथ भारत सरकार, राज्यों सरकार, तथा स्थानीय शासन के लेखाओं की जांच करता है।

पहला नियंत्रक महालेखा परीक्षक – बी. एन. राव( बेनेगल नटसिंह राव)।

वर्तमान – श्री गिरीश चन्‍द्र मुर्मू

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